भौतिक विज्ञान की कुछ महत्वपूर्ण परिभाषाए
भौतिक विज्ञान क्या है ?
भौतिक विज्ञान का अर्थ है – प्रकृति का अध्ययन। प्रकृति में हम सम्पूर्ण ब्रह्मांड (universe) को सम्मिलित कर सकते है। प्रकृति के मूलभूत नियमों (fundamental laws ) एवं परिघटनाओं का अध्ययन हम जिस विषय के अंर्तगत करते है उसे हम विज्ञान की शाखा, भौतिक विज्ञान (physics) कहते है। अत: प्रकृति का अध्ययन (study of nature) ही भौतिक विज्ञान है।
●कार्य - जब बल लगने पर वस्तु में गति (विस्थापन) हो तो बल द्वारा कार्य किया जाता है और बल की दिशा में विस्थापन का गुणनफल कार्य को व्यक्त करता है।
कार्य = बल & बल की दिशा में चली गई दूरी।
W = F x d (कार्य का मात्रक जूल है)
●तरंग (wave)- : तरंगों को मुख्यतः दो भागों में बांटा जा सकता है:
A.यांत्रिक तरंग (mechanical wave)
B.अयांत्रिक तरंग (non-mechanical wave)
●यांत्रिक तरंग: - वे तरंगें जो किसी पदार्थिक माध्यम (ठोस, द्रव, अथवा गैस) में संचरित होती है, यांत्रिक तरंगें कहलाती है. यांत्रिक तरंगों को मुख्यतः दो भागों में बांटा गया है:
1.अनुदैधर्य तरंग (longitudinal wave):
जब तरंग गति की दिशा माध्यम के कणों के कंपन करने की दिशा के समांतर होती है, तो ऐसी तरंग को अनुदैधर्य तरंग कहते है. ध्वनि अनुदैधर्य तरंग का उदाहरण है.
2.अनुप्रस्थ तरंग (transverse wave):
जब तरंग गति की दिशा माध्यम के कणों के कंपन्न करने की दिशा के लंबवत होती है, तो इस प्रकार की तरंगों को अनुप्रस्थ तरंग कहते हैं.
●अयांत्रिक तरंग या विद्युत चुंबकीय तरंग (electromagnetic waves): - वैसे तरंगें जिसके संचरण के लिए किसी भी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है, अथार्त तरंगे निर्वात में भी संचरित हो सकती हैं, जिन्हें विद्युत चुंबकीय या अयांत्रिक तरंग कहते हैं:
●तरंगदैधर्य (wave-length): - तरंग गति में समान कला में कंपन करने वाले दो क्रमागत कणों के बीच की दूरी को तरंगदैधर्य कहते हैं. इसे ग्रीक अक्षर λ(लैम्डा) से व्यक्त किया जाता है.
तरंग-चाल = आवृत्ति x तरंगदैधर्य
■न्युट्रान : न्युट्रान आवेशहीन परमाण्विक कण है। यह परमाणु के केन्द्रक मे प्रोटान के साथ रहता है।
■प्रोटान : प्रोटान परमाण्विक कण है, जिसका आवेश धनात्मक होता है। यह परमाणु के केन्द्रक मे न्युट्रान के साथ रहता है।
■न्युट्रीनो : न्युट्रीनो एक आवेशहीन मूलभूत कण है, यह प्रकाशगति के समान गति से यात्रा करता है। इसका द्रव्यमान कम लेकिन शुन्य से ज्यादा होता है। यह अन्य ज्ञात कणों से कोई क्रिया नही करता है।
■न्युटन का तीसरा नियम :- किसी भी क्रिया की विपरित किंतु तुल्य प्रतिक्रिया होती है।
■प्रणोद(Thrust) :- किसी राकेट की शक्ति को प्रणोद(Thrust) कहते है। प्रणोद को मापने के लिए SI इकाई न्युटन (N) है
■भार :--किसी वस्तु का भार वह बल है जो पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के कारण उस पर लगता है तथा पृथ्वी के केंद्र की ओर कार्यरत होता है।। जबकि द्रव्यमान वस्तु में निहित पदार्थ की मात्रा का माप है। जब हम कहते हैं कि एक व्यक्ति का वजन 60 किग्रा. है तो वास्तव में हम उसका द्रव्यमान बताते हैं न कि भार।
■शक्ति- कार्य करने की दर को शक्ति कहते हैं,
P =w/t (शक्ति का मात्रक वाट है
■ससंजक बल (cohesive force): एक ही पदार्थ के अणुओं के मध्य लगने वाले आकर्षण-बल को संसंजक बल कहते हैं . ठोसों में संसंजक बल का मान अधिक होता है, फलस्वरूप उनके आकार निश्चित होते हैं. गैसों में संसंजक बल का मान नगण्य होता है.
■साधारण पदार्थ(Byaronic Matter): --मुख्यतः इलेक्ट्रान, न्युट्रान और प्रोटान से बना होता है। इलेक्ट्रान, न्युट्रान और प्रोटान को बायरान भी कहते है।
■सुपरनोवा- कुछ तारों के जीवन काल के अंत में जब उनके पास का सारा इंधन (हायड्रोजन) जला चुका होता है, उनमें एक विस्फोट होता है। यह विस्फोट उन्हें एक बेहद चमकदार तारे में बदल देता है जिसे सुपरनोवा या नोवा कहते है।
■न्यूटन का सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण का नियम- इसके अनुसार, ब्रह्मान्ड का प्रत्येक कण अन्य कणों में प्रत्येक को अपनी ओर एक बल से आकर्षित करता है, इस गुरुत्वाकर्षण बल का समीकरण सूत्र,
F= G[(m1m2)/r2]
■हिग्स बोसान: स्टैंडर्ड माडेल किसी कण के विशिष्ट द्रव्यमान की व्याख्या नही कर पाता है। उदाहरण के लिये W कण और फोटान दोनो बल वाहक कण है लेकिन फोटान शून्य द्रव्यमान का और W कण भारी क्यों है ?
भौतिक वैज्ञानिको के अनुसार एक हिग्स क्षेत्र(Higs Field) का अस्तित्व होता है, जो सैधांतिक रूप से अन्य कणो के साथ प्रतिक्रिया कर उन्हे द्रव्यमान देता है। इस हिग्स क्षेत्र के लिए एक कण चाहीये, जिसे हिग्स बोसान(Higs Bosan) कहते है। यह हिग्स बोसान अभी तक देखा नही गया है लेकिन भौतिक वैज्ञानिक इसकी खोज मे लगे हुये है। इस कण को ’ईश्वर कण(God Particle)’ भी कहते हैं।
भौतिक विज्ञान का अर्थ है – प्रकृति का अध्ययन। प्रकृति में हम सम्पूर्ण ब्रह्मांड (universe) को सम्मिलित कर सकते है। प्रकृति के मूलभूत नियमों (fundamental laws ) एवं परिघटनाओं का अध्ययन हम जिस विषय के अंर्तगत करते है उसे हम विज्ञान की शाखा, भौतिक विज्ञान (physics) कहते है। अत: प्रकृति का अध्ययन (study of nature) ही भौतिक विज्ञान है।
●कार्य - जब बल लगने पर वस्तु में गति (विस्थापन) हो तो बल द्वारा कार्य किया जाता है और बल की दिशा में विस्थापन का गुणनफल कार्य को व्यक्त करता है।
कार्य = बल & बल की दिशा में चली गई दूरी।
W = F x d (कार्य का मात्रक जूल है)
●तरंग (wave)- : तरंगों को मुख्यतः दो भागों में बांटा जा सकता है:
A.यांत्रिक तरंग (mechanical wave)
B.अयांत्रिक तरंग (non-mechanical wave)
●यांत्रिक तरंग: - वे तरंगें जो किसी पदार्थिक माध्यम (ठोस, द्रव, अथवा गैस) में संचरित होती है, यांत्रिक तरंगें कहलाती है. यांत्रिक तरंगों को मुख्यतः दो भागों में बांटा गया है:
1.अनुदैधर्य तरंग (longitudinal wave):
जब तरंग गति की दिशा माध्यम के कणों के कंपन करने की दिशा के समांतर होती है, तो ऐसी तरंग को अनुदैधर्य तरंग कहते है. ध्वनि अनुदैधर्य तरंग का उदाहरण है.
2.अनुप्रस्थ तरंग (transverse wave):
जब तरंग गति की दिशा माध्यम के कणों के कंपन्न करने की दिशा के लंबवत होती है, तो इस प्रकार की तरंगों को अनुप्रस्थ तरंग कहते हैं.
●अयांत्रिक तरंग या विद्युत चुंबकीय तरंग (electromagnetic waves): - वैसे तरंगें जिसके संचरण के लिए किसी भी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है, अथार्त तरंगे निर्वात में भी संचरित हो सकती हैं, जिन्हें विद्युत चुंबकीय या अयांत्रिक तरंग कहते हैं:
●तरंगदैधर्य (wave-length): - तरंग गति में समान कला में कंपन करने वाले दो क्रमागत कणों के बीच की दूरी को तरंगदैधर्य कहते हैं. इसे ग्रीक अक्षर λ(लैम्डा) से व्यक्त किया जाता है.
तरंग-चाल = आवृत्ति x तरंगदैधर्य
■न्युट्रान : न्युट्रान आवेशहीन परमाण्विक कण है। यह परमाणु के केन्द्रक मे प्रोटान के साथ रहता है।
■प्रोटान : प्रोटान परमाण्विक कण है, जिसका आवेश धनात्मक होता है। यह परमाणु के केन्द्रक मे न्युट्रान के साथ रहता है।
■न्युट्रीनो : न्युट्रीनो एक आवेशहीन मूलभूत कण है, यह प्रकाशगति के समान गति से यात्रा करता है। इसका द्रव्यमान कम लेकिन शुन्य से ज्यादा होता है। यह अन्य ज्ञात कणों से कोई क्रिया नही करता है।
■न्युटन का तीसरा नियम :- किसी भी क्रिया की विपरित किंतु तुल्य प्रतिक्रिया होती है।
■प्रणोद(Thrust) :- किसी राकेट की शक्ति को प्रणोद(Thrust) कहते है। प्रणोद को मापने के लिए SI इकाई न्युटन (N) है
■भार :--किसी वस्तु का भार वह बल है जो पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के कारण उस पर लगता है तथा पृथ्वी के केंद्र की ओर कार्यरत होता है।। जबकि द्रव्यमान वस्तु में निहित पदार्थ की मात्रा का माप है। जब हम कहते हैं कि एक व्यक्ति का वजन 60 किग्रा. है तो वास्तव में हम उसका द्रव्यमान बताते हैं न कि भार।
■शक्ति- कार्य करने की दर को शक्ति कहते हैं,
P =w/t (शक्ति का मात्रक वाट है
■ससंजक बल (cohesive force): एक ही पदार्थ के अणुओं के मध्य लगने वाले आकर्षण-बल को संसंजक बल कहते हैं . ठोसों में संसंजक बल का मान अधिक होता है, फलस्वरूप उनके आकार निश्चित होते हैं. गैसों में संसंजक बल का मान नगण्य होता है.
■साधारण पदार्थ(Byaronic Matter): --मुख्यतः इलेक्ट्रान, न्युट्रान और प्रोटान से बना होता है। इलेक्ट्रान, न्युट्रान और प्रोटान को बायरान भी कहते है।
■सुपरनोवा- कुछ तारों के जीवन काल के अंत में जब उनके पास का सारा इंधन (हायड्रोजन) जला चुका होता है, उनमें एक विस्फोट होता है। यह विस्फोट उन्हें एक बेहद चमकदार तारे में बदल देता है जिसे सुपरनोवा या नोवा कहते है।
■न्यूटन का सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण का नियम- इसके अनुसार, ब्रह्मान्ड का प्रत्येक कण अन्य कणों में प्रत्येक को अपनी ओर एक बल से आकर्षित करता है, इस गुरुत्वाकर्षण बल का समीकरण सूत्र,
F= G[(m1m2)/r2]
■हिग्स बोसान: स्टैंडर्ड माडेल किसी कण के विशिष्ट द्रव्यमान की व्याख्या नही कर पाता है। उदाहरण के लिये W कण और फोटान दोनो बल वाहक कण है लेकिन फोटान शून्य द्रव्यमान का और W कण भारी क्यों है ?
भौतिक वैज्ञानिको के अनुसार एक हिग्स क्षेत्र(Higs Field) का अस्तित्व होता है, जो सैधांतिक रूप से अन्य कणो के साथ प्रतिक्रिया कर उन्हे द्रव्यमान देता है। इस हिग्स क्षेत्र के लिए एक कण चाहीये, जिसे हिग्स बोसान(Higs Bosan) कहते है। यह हिग्स बोसान अभी तक देखा नही गया है लेकिन भौतिक वैज्ञानिक इसकी खोज मे लगे हुये है। इस कण को ’ईश्वर कण(God Particle)’ भी कहते हैं।
ReplyDeleteप्राकृतिक विज्ञान प्रकृति और भौतिक दुनिया का व्यवस्थित ज्ञान होता है, या फ़िर इसका अध्ययन करने वाली इसकी कोई शाखा। असल में विज्ञान शब्द का उपयोग लगभग हमेशा प्राकृतिक विज्ञानों के लिये ही किया जाता है। इसकी तीन मुख्य शाखाएँ हैं : भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान।
मनुष्य ने अपनी आवश्यकताओं के लिए जो नए-नए आविष्कार किए हैं, वे सब विज्ञान की ही देन हैं। इसकी तीन मुख्य शाखाएँ हैं : भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान।
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